लेखनी कविता - तेरी याद
शहरों की सड़कों ने छीन लिया सन्नाटा मुझसे
मैं खाली रास्तों पर चलना चाहती हूँ...
शाम होते ही गाँव की सड़कों पर निकलती थी
मैं घर लौटती चाँदनी रात लेकर...
जुगुनूओं से बतीयाना, तारों से आँख मिलाना
वो हल्की सर्द नवंबर की रात
ठन्ड हवा के झोकों से कुछ बात...
वो भूली,बिसरी तेरी याद
तेरी यादों से जुड़ी कुछ बात...
तुम्हें पता हैं,मैंने तुम्हें कभी खोना नहीं चाहा
पर तुम चट्टान सरीखें और मैं पेड़ की डलियों सी
मैं तुमसे जुड़ के
तुम्हारी कठोरता में हिस्सेदारी नहीं चाहती..
मैं तुमसे दूर रह कर
अपनी कोमलता के साथ जीना चाहती हूँ...
मुझे तुमसे प्रेम करने के लिए
तुम्हारी भी जरूरत नहीं...
हाँ मगर कभी एहसास तुम्हें हो
और तुम लौटना चाहों तो स्वागत रहेगा..
मैंने अपने हिस्से की दरवाज़ें , खिड़कियाँ
हमेशा खोलें रखी हैं...
जाते हुयें लोगों को रोका नहीं
पर आते हुयें लोगों का सत्कार सदैव किया...
अपूर्वा शुक्ला🍁✍
# प्रतियोगिता
Gunjan Kamal
16-Nov-2022 07:50 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻
Reply
Apoorva Shukla
16-Nov-2022 10:10 PM
Shukriya 🙏
Reply
Haaya meer
13-Nov-2022 06:52 PM
Amazing
Reply
Apoorva Shukla
16-Nov-2022 10:10 PM
Thanks
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
13-Nov-2022 11:15 AM
बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ
Reply
Apoorva Shukla
16-Nov-2022 10:10 PM
Bahut bahut dhanyavaad
Reply